Surya Barman
@surya_barman
Вірші
भजन :- शिव शंकर दानी (भक्ति रस रचना)
सुनिए दुखड़ा हमार, हे शिव शंकर दानी, करिए सपना साकार, हे शिव शंकर दानी । डमरूवाले बाबा काशीनाथ, दीजिए ध्यान, कोरोना महामारी की, बंद करें मनमानी। हे शिव शंकर दानी………….. भोलेनाथ मेरे, आज सारा संसार रो रहा है, आपकी सुंदर सृष्टि में, ये क्या हो रहा है..? करिए अपने भक्तों के आंसू को मुस्कान, सिर के ऊपर से भोले, बह रहा है पानी। हे शिव शंकर दानी…………. आपके सामने आपकी ऊजड़ रही है सृष्टि, आसमान से हो रही जैसे, मौत की वृष्टि। दानव नाच रहे हैं, और मानव कराह रहे, दूर करिए प्रभु, सारी दुनिया की परेशानी। हे शिव शंकर दानी…………… तीसरी आंख खोलें और त्रिशूल निकालें, आपके भक्तों की जा रही है जिंदगानी। सारी दुनिया आज राह देख रही आपकी, फल फूल लेकर खड़े हैं, हम हिन्दुस्तानी। हे शिव शंकर दानी………….. Shivkumar barman ✍️
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दिल की बात
यह कहना था तुमसे कि जब भी तुम आना, थोड़ा सा इत्र जरूर लगाना हाथ थाम के मेरा थोड़ा मुस्कुरा ना गले से लगाकर धड़कने सुनाना मैं खो जाऊंगी बाहों में तुम्हारी तुम हाथों से अपने मेरे बाल सहलाना तुम्हारी पसंद का झुमका ले रखा है मैंने कानों में प्यार के दो शब्द कहके उन्हें पहनाना ये कंगन ये बाली ये पायले सब इंतज़ार कर रहे हैं तुम्हारा इस बार शाम मे भी थोडा वक्त बिताना काला सूट पहनके आऊंगी मैं माथे पे बिंदी अब तुम लगाना श्रृंगार अधूरा उस दिन रहेगा मेरा , हाथों से अपने मुझे सजना माना कि उस दिन , दिन जल्दी ढल जाएगा तुमसे दूर अब मुझसे नहीं रहा जाएगा सुबह से दुपहर और फिर शाम हो जाएगी हमारी बाते फिर भी खत्म न हो पाएंगी तो चलो इस बार बातें थोडी कम ही करेगें नजरो ही नजरो में गुफ्तगू करेगें एक नदी का किनारा होगा , सुनेहरा वो वक्त शाम का नजारा होगा मैं पलके झुकाऊंगी , थोडा मुस्कुरांगी , बाहों में तुम्हारी सिमटती ही जाऊंगी तुम्हारे नजदीक होकर ये धड़कने तेज हो जायेंगी बात लबों तक आयेगी लेकिन लबों पे ही रह जायेगी कहने को हमारी एक मुलाकात होगी लेकिन इस मुलाकात में अलग ही बात होगी दिमाग की सिलवटों को मैं ज़रा , सियाही से मिटाऊंगी , यादों को तुम्हारी दिल में संजोती ही जाऊंगी आसमान में जब सितारे टिमटिमाने लगेंगे जाने का वक्त हो गया हैं , ये बताने लगेंगे रुको तुम्हे जो मैं , तो तुम थोड़ा रुक जाना हाथ थाम के मेरा , कब वापस मिलने आओगे ये ज़रूर बताना महीनो से तुम्हारा इंतजार कर रही हूं जाते वक्त तुम्हरे , ये आंकें नम से हो जाएंगी लेकिन तुम अपनी आंखों से अश्क न बहाना ये कहना था तुमसे की जब भी तुम आना , थोड़ा सा इत्र जरूर लगाना !! shivkumar barman ✍️
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" आज की सच्चाई "
सुख में सब दौड़े चले आते हैं, पर दुख में आए ना कोई,ये हमारे जीवन की आज की सच्चाई है। आज भाई भाई का नहीं, दोस्त दोस्त का नहीं, रिश्तेदार पड़ोसी सब मतलब के यार है। जब तक आपके पास पैसा है, तब तक सबका प्यार है पैसा नहीं तो झूठा संसार है। मुंह में राम बगल में छुरी, यही है आज के समाज की धुरी। मान न मान मैं तेरा मेहमान यू सब चले आते हैं, जब गम में डूबा हो कोई दूर बहुत चले जाते हैं। रिश्तो से कोई मतलब नहीं बस पैसों का व्यापार है पैसा है तो सब कुछ है पैसा नहीं तो छूट जाता अपनों का भी प्यार है। यही है आज की सच्चाई जो मैंने आप सबको दिखाई। S.K.BRAMAN
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